राजशाही के खिलाफ संघर्ष के दौरान हुई राजनीतिक हत्याओं की जांच कराने संबंधी नेपाल सरकार के ताजा ऐलान से देश की सियासत गरमा गयी है। लेकिन इसी के साथ लोग पूछने लगे हैं की आखिर २००१ में नारायण हिति महल में महाराजा वीरेंद्र सहित उनके पूरे परिवार की नृशंश हत्या का सच कब सामने आयेगा?
देश के प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल का कहना है कि उनकी सरकार राजनीतिक हत्याओं की जांच के लिए हरहाल में आयोग गठित करेगी। नेपाल ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के उद्घाटन सत्र में कहा, 'सरकार निष्पक्ष आयोग के गठन के लिए प्रतिबद्ध है।' दरअसल इन हत्याओं के लिए माओवादी विद्रोहियों को जिम्मेदार माना जाता है। नेपाल में संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त रिचर्ड बैनेट ने इन राजनीतिक हत्याओं के लिए माओवादी विद्रोहियों को दोषी ठहराया है। उन्होंने हत्या के कई मामलों में यूनीफाइड कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल-माओवादी के खिलाफ जांच का आदेश भी दिया है। बैनेट के मुताबिक माओवादियों ने खुद एक बस धमाके में अपना हाथ होने का दावा किया था। इस बस धमाके में 50 लोगों की जान चली गई थी। लेकिन, इस घटना में अब तक किसी के खिलाफ कोई मामला नहीं चलाया गया। बैनेट ने नेपाल सरकार को लिखे एक पत्र में कहा है, 'मानवाधिकारों का हनन करने वालों को बढ़ावा देने और उन्हें बचाने का चलन बंद होना चाहिए, चाहे ये लोग नेपाल सेना के हों या पूर्व माओवादी विद्रोही।'
प्रस्तुतकर्ता छपास पर 10:54 PM 0 टिप्पणियाँ
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बुधवार, 30 सितंबर 2009
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